“एक लाख दो, नौकरी लो” – महिला कार्यकर्ता भर्ती में घूसखोरी का गंभीर आरोप, नियुक्ति के बाद अपात्र कर हटाया गया नाम

कवर्धा। एकीकृत बाल विकास परियोजना तरेगांव जंगल (ब्लॉक बोड़ला) में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका की भर्ती प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार का सनसनीखेज आरोप सामने आया है। पीड़ित गीता मेरावी ने परियोजना अधिकारी और विभागीय कर्मचारी रामाधार के साथ नमन देशमुख नामक अधिकारी पर एक लाख रुपए की रिश्वत मांगने और नियुक्ति के बाद नौकरी रद्द करने का आरोप लगाया है।
गीता मेरावी ने बताया कि विभाग द्वारा मुड़घुसरी मैदान केंद्र के लिए विज्ञप्ति निकाली गई थी, जिसमें आवेदन के आधार पर उन्हें कार्यकर्ता पद के लिए नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया। लेकिन कुछ ही समय बाद बिना किसी स्पष्ट कारण के उनका आदेश निरस्त कर अपात्र सूची में डाल दिया गया।
पीड़िता का दावा है कि अधिकारी नमन देशमुख ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से बुलाकर कहा —
“तुम वही करो जो मैं कहूं, तो पात्र बना दूंगा। नेता-नेताड़ी के चक्कर में मत पड़ो। आवेदन दो बार अलग-अलग हैंडराइटिंग में बनाओ और गांव के कुछ नाम जोड़ दो ताकि लगे कि तुम वहीं की हो।”
इतना ही नहीं, पीड़िता ने बताया कि पहले 50,000 रुपए लेकर उन्हें नियुक्त किया गया था, लेकिन जब वह बचे हुए 50,000 रुपए नहीं दे पाईं, तो नियुक्ति रद्द कर दी गई।
इस पूरे प्रकरण की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सामने आई है, जिसमें एक अधिकारी यह कहते सुना जा सकता है —
“किसी को मत बताना, मैं तुम्हारा कर दूंगा, बाकी को पता न चले।”
यह ऑडियो अब भ्रष्टाचार की पुष्टि करने वाला अहम सबूत माना जा रहा है, हालांकि इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि होना बाकी है।
फिलहाल, पूरे मामले ने महिला बाल विकास विभाग और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रामाधार और नमन देशमुख नामक दो कर्मचारियों के नाम इस प्रकरण में सामने आए हैं। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह महिलाओं के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता को गहरा आघात पहुंचा सकता है।
(Disclaimer: प्रस्तुत खबर पीड़िता के बयान और उपलब्ध ऑडियो पर आधारित है। ऑडियो की सत्यता की पुष्टि जांच के बाद ही हो सकेगी।)